So first things first. Why am I writing this? The reason is simple. I just see too many opinions on this floating around and some of them are so wrong at so many levels that it was important to clarify. Q. Tanushree Dutta can do a bold scene with Emraan…
Poem: प्रयागराज
उत्तर प्रदेश में कानून का राज हो गयाआखिर इलाहबाद अब प्रयागराज हो गया सालों से ना हुआ वो विकास आज हो गयाआखिर इलाहबाद अब प्रयागराज हो गया गुंडों से भयमुक्त पूरा समाज हो गयाआखिर इलाहबाद अब प्रयागराज हो गया देखो जंगल में भी राम राज हो गयाआखिर इलाहबाद अब प्रयागराज…
5 years of Steve Jobs Moment and state of Grocery E Commerce
Yes. It is five years. Maybe I got too animated about those 5 years. And forgot to tell 5 years of what. Yes, 5 years of my Steve Jobs moment. So what all I have been up to all these years. Continued to mentor a large number of companies Went…
Poetry: जुनून और सुकून
जुनून और सुकून कीज़ंग बहुत अज़ीम हैकभी चलते रहना भारी लगता हैकभी ठहराव का बोझ बड़ा होता हैचलते रहने में कई सवालातदिल को घेर लेते हैंकहाँ जा रहा हूँकहाँ तक पहुँचा हूँक्या यहीं आने के लिए निकला थाऔर भी कई सवालना जवाब मिलता है कभीऔर कभी जो जवाब मिलता हैवो…
How is Broad Core Algorithm Update August 2018 by Google impacting your SEO?
Updated on 9th Aug, 2018 So the news is out and the panic is visible across the SEO world. Some sites have gained and some lost big time. We are also seeing huge fluctuations with some of the sites we manage and on some of them, I have seen impact…
Poem : सरहद
इक बार कभी इस सरहद पे कुछ ऐसा भी हो जाए तुम भी कुछ गीत सूनाओ हम भी कुछ गाने गायें बहुत हो चुका खेल खून का अब थोड़ा संगीत करें तुम छेड़ो एक नुसरत की धुन हम भी रफ़ी के गीत कहें माज़ी में तो खून है टपका तेरा…
Poem : मुल्क आज़ाद हो गया है
अमन वाली बस्तियों में भीदंगा फसाद हो गया हैअभी अभी खबर आयी हैमुल्क आज़ाद हो गया है साठ बच्चे अस्पताल मेंतड़प तड़प के मर गयेसियासत के दलालों काघर आबाद हो गया हैअभी अभी खबर आयी हैमुल्क आज़ाद हो गया है धर्म और ज़ुबान से थक जाते हैंतो मुल्कों को लड़ाते…
Poem: रात हो चली है
रात हो चली है कोई किताब पढ़ने दो मुझेदिन के ज़ख्मों का कुछ तो हिसाब करने दो मुझे घर के हर कोने से कोई जाला गिरा जाता हैअपनी ज़ख़्मों को कुछ बा नक़ाब करने दो मुझे रोशनी में छुपे रहते हैं अंधेरों में निकल आते हैंअब तो खुद से ही…
Poem : अरमानों की चादरें
बहुत हल्के से ओढ़ रखी हैंअरमानों की चादरेंथोड़ी भी हवा आती हैउड़ जाती हैं पुरज़ोर नहीं हैं ज़िंदगी के रास्तेबिखरी हुई पगडंडियां हैंकोई सख्ती से चलता हैमुड़ जाती हैं कारोबार-ए-ज़िंदगी हमाराकुछ ऐसा चल रहा हैकुछ समुंदर निकल गये हम सेकुछ नदियाँ जुड़ जाती हैं ना खुशियों की कोई ख्वाइशना गम…