à¤à¤• आह की ज़िंदगी à¤à¥€ आख़िर ज़िंदगी कà¥à¤¯à¤¾ होती है à¤à¤• ज़ख़à¥à¤® से उà¤à¤°à¤¤à¥€ है à¤à¤• ज़ख़à¥à¤® में फ़ना होती है कà¥à¤¯à¤¾ कहें किस से कहें ये ज़à¥à¤¬à¤¾à¤¨ गदà¥à¤¦à¤¾à¤° है दरà¥à¤¦ की इंतेहा तो बस आà¤à¤–ों से बयान होती है गà¥à¤® हो जाà¤à¤à¤—े हम à¤à¥€ आख़िर दसà¥à¤¤à¥‚र-à¤-खà¥à¤¦à¤¾à¤ˆ है अà¤à¥€…
Category: Poems
Poem : बà¥à¤²à¤¬à¥à¤²à¤¾
बà¥à¤²à¤¬à¥à¤²à¤¾ हूठकà¥à¤› ही कà¥à¤·à¤£ में कà¥à¤·à¤¤ विकà¥à¤·à¤¤ हो जाऊंगा पर अपने जीवन की अलà¥à¤ªà¤¤à¤¾ से मैं नहीं घबराऊंगा चाहे सतह पर ही हो मेरे सात रंगों की चमक चाहे अंतरमन में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हो à¤à¤•à¤¾à¤•à¥€ शूनà¥à¤¯ तक à¤à¤• बचà¥à¤šà¥‡ की ख़à¥à¤¶à¥€ बन के मैं सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही बिखर जाऊंगा अपने जीवन…
Poem – इस पेड़ पे जो लटकी हैं, वो लाशें नहीं हैं
इस पेड़ पे जो लटकी हैं, वो लाशें नहीं हैं खà¥à¤¶à¤¬à¥‚ थीं वो किसी घर की इज़à¥à¥›à¤¤ थी किसी के दर की खेलती थी कà¤à¥€ शायद इसी पेड़ के तले छà¥à¤ªà¤¤à¥€ थी कà¤à¥€ शायद इस पेड़ की ओट में और शायद कà¤à¥€ इस पेड़ पे चॠके खेल…
Poem : ज़िनà¥à¤¦à¤—ी में
कितने लगायें अब पैबनà¥à¤¦ ज़िनà¥à¤¦à¤—ी में हो चà¥à¤•à¥‡ हैं सब रासà¥à¤¤à¥‡ अब बंद ज़िनà¥à¤¦à¤—ी में रिसते हैं अब तो ज़खà¥à¤® लहू से कà¤à¥€ अशà¥à¤•à¥‹à¤‚ से अपने à¤à¥€ हà¥à¤† करते थे हौसले बà¥à¤²à¤‚द ज़िनà¥à¤¦à¤—ी में लमà¥à¤¹à¥‹à¤‚ को जाने मà¥à¤ से ये कैसी दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨à¥€ है मà¥à¤ को à¤à¥€ मिलते ख़à¥à¤¶à¥€…
बेसबब लिखता हूठमैं
बेसबब लिखता हूठमैं ज़िनà¥à¤¦à¤—ी की चाल को कौन समà¤à¤¾ है यहाठकोई आता है कोई जाता है कà¥à¤› निशान छोड़ कर कोई पहचान छोड़ कर à¤à¤• उजड़ी हà¥à¤ˆ बसà¥à¤¤à¥€ मैं à¤à¤• टूटा हà¥à¤† मकान छोड़ कर ना आने का कोई सबब तेरा ना जाने का कोई सबब है इस…
टूटी किशà¥à¤¤à¥€
इस रासà¥à¤¤à¥‡ पे चले आये बहà¥à¤¤ दूर तक बिना सोचे या शायद कà¥à¤› सोचा होगा पर याद नहीं कà¥à¤¯à¤¾ था कोई सैलाब आया होगा कोई आंधी à¤à¥€ आई थी शायद कà¥à¤› उड़ा के लिठगयी और कà¥à¤› बहा के पर कà¥à¤› तो बच ही गया थोडा सहमा हà¥à¤† थोडा टूटा…
अपना नाम तो तà¥à¤® लिख ही लोगे
अपना नाम तो तà¥à¤® लिख ही लोगे मेरे मकान-ओ-दर पे पर उन परिंदों का कà¥à¤¯à¤¾ करोगे जो कà¤à¥€ अनायास ही कà¥à¤› à¤à¤¸à¥‡ ही आ कर बैठ गठथे कà¥à¤› पानी पिया कà¥à¤› बातें हà¥à¤¯à¥€à¤‚ कà¥à¤› अपनापन सा जाग उठा à¤à¤• रिशà¥à¤¤à¤¾ सा उग गया à¤à¤• सूखी सी शाख पे à¤à¤•…
बà¥à¤à¤¤à¥€ नहीं ये यारियां
बà¥à¤ गये सब रिशà¥à¤¤à¥‡ नाते बà¥à¤ गयी चिंगारियां जाने किस मिटटी की हैं ये बà¥à¤à¤¤à¥€ नहीं ये यारियां रासà¥à¤¤à¥‡ मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² à¤à¥€ आये आई कितनी आंधियां जाने किस मिटटी की हैं ये बà¥à¤à¤¤à¥€ नहीं ये यारियां दौर रोज़ मिलने के आये आई à¤à¥€ दà¥à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ जाने किस मिटटी की हैं ये बà¥à¤à¤¤à¥€…
मौत की रोटी
A poem dedicated to those innocent kids who died in Bihar. मौत की रोटी बेचते हैं खà¥à¤²à¥‡ आम ज़हर के सौदागर मासूम ज़िनà¥à¤¦à¤—ी की कीमत आज यहाठकà¥à¤› à¤à¥€ नहीं à¤à¤• और किसà¥à¤¸à¤¾ हà¥à¤† à¤à¤• और खबर बनी कà¥à¤› और बà¥à¤°à¥‡à¤•à¤¿à¤‚ग नà¥à¤¯à¥‚ज़ कà¥à¤› और इंटेलेकà¥à¤šà¥à¤…ल वà¥à¤¯à¥‚ज होंगे आरोप और पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‹à¤ª…
इंसानियत
सूडान के रेगिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ मैं à¤à¥‚खे नंगे इंसान मैं खून से लथपथ हर सूखे हà¥à¤ पथ पर हर रोज़ मरती हूठलेकिन मरती नहीं हूठमैं अमेरिका के सà¥à¤•à¥‚लों मैं मौत के खिलोनों मैं शिकà¥à¤·à¤• के खून मैं à¤à¥€à¤‚गी बेगà¥à¤¨à¤¾à¤¹ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की सिसकी मैं हर रोज़ मरती हूठलेकिन मरती नहीं…