बुझती आँखों की तड़पउठती नींदों की थकनसोच में डूबे हुएमेरे माथे की शिकनसाथ है मेरे भी कुछयादों के पोशीदा सबबढूँढते रहते हैं वोजाने क्या सुबहो और शबमाज़ी की आँधी कोईरात का चाँद कहींज़ख़्म की वादियों मेंदर्द का दरिया कहींहर रोज़ के वहीबुझते हुए सिलसिलेघटती हुई ज़िंदगीबढ़ते हुए शिकवे गिलेखाक में…
Category: Poems
Poem : प्यार-को-प्यार-ही-रहने-दो
कोई परिभाषा से परेआशा प्रत्याशा से परेइक हृदय में ज्वाला बनक्षीण क्षीण जलता हुआभावनाओं के पवन सेजीता और मरता हुआसंदेह और विश्वास कीधाराओं से लड़ता हुआएक पल में अल्प हो केदूजे में बढ़ता हुआनाम क्या दूं तुझ को मैंजब खुद को ही समझा ना मैंप्राप्य और अप्राप्य कीदुविधा में उलझा…
Poem: तà¥à¤® आओगे
तà¥à¤® आओगे कà¥à¤›Â है मà¥à¤à¥‡ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ सा कà¥à¤› है मà¥à¤à¥‡ आà¤à¤¾à¤¸ सा कà¥à¤·à¤¿à¤¤à¤¿à¤œ पे जब लालिमा खिल उठेगी à¤à¥‚म के आग जल के अधरों को सà¥à¤¸à¥à¤¤ होगी चूम के सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ के धूमिल  पà¥à¤°à¤·à¥à¤ ों से à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ ले तà¥à¤® आओगे इक ठिठà¥à¤°à¤¤à¥€Â रात को ओस को ओढ़ कर विलà¥à¤ªà¥à¤¤ होती पग डांडियों पे…
Poem: कई बातें
उलà¤à¥‡ हà¥à¤ लफ़à¥à¤œà¤¼à¥‹à¤‚ में कहता हूठकई बातें कà¥à¤› तैरती रहती हैं कà¥à¤› दिल में उतर जाती हैं कà¥à¤› à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ के सायों से फलक तक चली जाती हैं कà¥à¤› रेत में उड़ती हैं कà¥à¤› अशà¥à¤•à¥‹à¤‚ से तर जाती हैं कà¥à¤› रेंगती जाती हैं यादों के उफक तक कà¥à¤› खà¥à¤¦ से…
Poem: सब तिरंगे बेचते हैं
सब तिरंगे बेचते हैं आज देखा à¤à¤• बचà¥à¤šà¥€ को उस गली के मोड़ पे à¤à¤• हाथ में चनà¥à¤¦ सिकà¥à¤•à¥‡ à¤à¤• मैं कà¥à¤› दस तिरंगे चेहरे पर ना कोई शिकवा ना कोई खà¥à¤¶à¥€ का सà¥à¤°à¤¾à¤— बस à¤à¤• कà¥à¤°à¤® ज़िंदगी का जो बà¥à¤à¤¾à¤¯à¥‡ पेट की आग सब के है अपने तरीके और…
APJ Abdul Kalam – क़ौम का बंदा
वो गीता à¤à¥€ पढता था वो कà¥à¤°à¤¾à¤¨ पढता था मज़हबों से कहीं आगे वो इंसान पढता था मिसाइल के मसाइल से à¤à¥€ वाक़िफ़ था बहà¥à¤¤ वो पर चैन-ओ-अमन का कलाम वो सà¥à¤¬à¤¹-शाम पढ़ता था ना उतà¥à¤¤à¤°Â से ना दकà¥à¤·à¤¿à¤£Â से ना पूरब से ना पशà¥à¤šà¤¿à¤® से वो क़ौम का बंदा था वो हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ पढ़ता था वो गीता à¤à¥€ पढता…
Poem: ऊरà¥à¤œà¤¾ और परिà¤à¤¾à¤·à¤¾
देखा है कà¤à¥€ सूरज को उगते हà¥à¤ और डूबते हà¥à¤ कà¥à¤¯à¤¾ फरà¥à¤• होता है थोड़ा रौशनी का और बहà¥à¤¤ कà¥à¤› निकलता है सà¥à¤¬à¤¹ सà¥à¤¬à¤¹ à¤à¤• जोश के साथ बहà¥à¤¤ ऊरà¥à¤œà¤¾ लिठहà¥à¤ सà¥à¤¬à¤¹ का संचार करते हà¥à¤ हर कण कण में à¤à¤• सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¿à¤® चादर बिखेर तेता है पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के हर…
Poem: Tum kaun the
तà¥à¤® कौन थे जो आये थे मेरी जीवन में à¤à¤• à¤à¥‹à¤‚का हवा का बन के कई रूप में कई रà¤à¤— में कà¤à¥€ à¤à¤• मितà¥à¤° बन के कà¤à¥€ à¤à¤• दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• बन के वो सब कà¥à¤› बन के जो मेरे अधूरेपन को à¤à¤° देता था कà¥à¤› सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° पलों से तà¥à¤® कौन थे…
Poem : ज़िंदगी के धागे
ज़िंदगी के धागे बहà¥à¤¤ कमज़ोर हो चले हैं टूटते तो हैं पर जà¥à¤¡à¤¼à¤¤à¥‡ नहीं उलठजाते हैं à¤à¤• दूसरे से कà¤à¥€ लगते हैं मिलते हà¥à¤ कà¤à¥€ लगते हैं à¤à¤• विरोधाà¤à¤¾à¤¸ खà¥à¤¦ से ही खà¥à¤¦ का कà¤à¥€ कोई सोच और कà¤à¥€ कोई और मन का अंतरà¥à¤¦à¥à¤µà¤‚द और वो à¤à¥€ अंतहीन कटà¥à¤¤à¤¾…
Poem: जाने कà¥à¤¯à¤¾
जाने कà¥à¤¯à¤¾ लिखा है किताबों में जाने कà¥à¤¯à¤¾ ये सब बोलते हैं बचपन को बंदूक की नोक पे धरà¥à¤® के तराज़ू में तोलते हैं काटते हैं मासूमियत को हैवानियत की तलवार से ज़हर ये किस रंग का इंसानियत में घोलते हैं ना आà¤à¤¸à¥‚ ही रà¥à¤•à¤¤à¥‡ हैं ना लहू ही रà¥à¤•à¤¤à¤¾…