कà¥à¤› मर गया है मà¥à¤ में इस लिठकविता लिखता हूà¤
कà¥à¤› लिखता हूठअब बचे हà¥à¤ खà¥à¤¦ को ज़िंदा रखने के लिà¤
यही सच है हर à¤à¤• कवि के पीछे. कà¥à¤› दरà¥à¤¦ के साठहैं जो बरस जाते हैं अनायास ही. कà¥à¤› इस बारिश से बिखर जाते हैं और कà¥à¤› इस बारिश से संवर जाते हैं
और कà¥à¤›, जो कवि होते हैं, इन बूà¤à¤¦à¥‹à¤‚ से लाड़ियान पिरो लेते हैं. उन लड़ियों को गले में पहन लते हैं जैसे की जीवन ने उन को पदक दिठहो. कà¥à¤› à¤à¤¸à¥€ ही लाड़िया आप के सामने पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ हैं
खà¥à¤¦ से ही लड़ रहे हैं
मà¥à¤•़दमा अपनी बेगà¥à¤¨à¤¾à¤¹à¥€ का
इलà¥à¤œà¤¼à¤¾à¤® लगाने वाला
कà¥à¤› ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ही करीब था
जाने कà¥à¤¯à¥‚ठतà¥à¤® ने
आशियाठसमठलिया मà¥à¤ को
ईंट पर ईंट रखी थी
कोई ज़ोड नहीं था
अधूरापन और रेखायें
तेरा à¤à¤• अधूरापन
मेरा à¤à¤• अधूरापन
शायद बहà¥à¤¤ अलग है
या शायद बिलकà¥à¤² à¤à¥€ नहीं
à¤à¤• ही शीशे से
टूटे हà¥à¤ टà¥à¤•ड़े
à¤à¤• ही बरगद से
पतà¥à¤¤à¥‡ जो हैं बिछड़े
लगता है कà¤à¥€ मिल कर
à¤à¤• हो जायेंगे कà¤à¥€
या बिखर जायेंगे
कà¤à¥€ ना जà¥à¥œà¤¨à¥‡ के लिà¤
कà¥à¤¯à¤¾ सब के अधूरेपन
जà¥à¥œ सकते हैं कà¤à¥€
हम सब को पूरा
करने के लिये
बिखरे हà¥à¤ असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को
à¤à¤•तà¥à¤°à¤¿à¤¤ करने के लिये
परनà¥à¤¤à¥ बहà¥à¤¤ रेखाà¤à¤‚ हैं
हमारे अहंकारों के बीच में
जो कहती हैं उस पार
कोई और गाà¤à¤µ है
कोई और देश है
और वो रेखायें हैं
इतनी पà¥à¤°à¤¬à¤²
इतनी गहरी
कà¥à¤› सामाजिक
कà¥à¤› मानसिक
कà¥à¤› यथारà¥à¤¥
कà¥à¤› कलà¥à¤ªà¤¿à¤¤
कà¥à¤› हम को परिà¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤ करती
कà¥à¤› हम को à¤à¤•ाकी करती
जो रोक लेती हैं
इन टà¥à¤•ड़ों को
à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ से मिलने से
à¤à¤• अटà¥à¤ ाहस सा करती हैं
हम को अधूरा देख कर
खिलà¥à¤²à¥€ उडाती हैं
हमारे अलà¥à¤ª सहस की
कà¤à¥€ इन रेखाओं को
तोड़ देंगे सब
और सब अधूरेपन मिल कर
à¤à¤• पूरापन बनायेंगे
तब तक बस यही है
जीवन का सारांश
अधूरापन और रेखायें
हमारी जिंदगी में जितना सही है बिलà¥à¤•à¥à¤² उतना ही ग़लत
इक तरफ तà¥à¤® हो तो दूसरी तरफ गम जहाठà¤à¤° के
कोई परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ से परे
आशा पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¶à¤¾ से परे
इक हृदय में जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾ बन
कà¥à¤·à¥€à¤£ कà¥à¤·à¥€à¤£ जलता हà¥à¤†
à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं के पवन से
जीता और मरता हà¥à¤†
संदेह और विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ की
धाराओं से लड़ता हà¥à¤†
à¤à¤• पल में अलà¥à¤ª हो के
दूजे में बढ़ता हà¥à¤†
नाम कà¥à¤¯à¤¾ दूं तà¥à¤ को मैं
जब खà¥à¤¦ को ही समà¤à¤¾ ना मैं
पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¯ और अपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¯ की
दà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ में उलà¤à¤¾ हूठमैं
इस घà¥à¤Ÿà¤¨ को जलने दो
इस को कोई आराम ना दो
पà¥à¤¯à¤¾à¤° को पà¥à¤¯à¤¾à¤° ही रहने दो
कोई नाम ना दो
बस यही सोच कर ज़िंदगी
तà¥à¤ से उमà¥à¤®à¥€à¤¦ नहीं रखते
मायूस हो के इक दिन मरते हैं
उमà¥à¤®à¥€à¤¦ रख के हर दिन
ज़िंदा रहने का अदब
बà¥à¤à¤¤à¥€ आà¤à¤–ों की तड़प
उठती नींदों की थकन
सोच में डूबे हà¥à¤
मेरे माथे की शिकन
साथ है मेरे à¤à¥€ कà¥à¤›
यादों के पोशीदा सबब
ढूà¤à¤¢à¤¤à¥‡ रहते हैं वो
जाने कà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤¬à¤¹à¥‹ और शब
माज़ी की आà¤à¤§à¥€ कोई
रात का चाà¤à¤¦ कहीं
ज़ख़à¥à¤® की वादियों में
दरà¥à¤¦ का दरिया कहीं
हर रोज़ के वही
बà¥à¤à¤¤à¥‡ हà¥à¤ सिलसिले
घटती हà¥à¤ˆ ज़िंदगी
बढ़ते हà¥à¤ शिकवे गिले
खाक में मिलते हà¥à¤
जज़à¥à¤¬à¤¾à¤¤à¥‹à¤‚ के आशियाà¤
कतरा कतरा मिटते हà¥à¤
रूह के नाम-ओ-निशान
ढूà¤à¤¢ लेता हूठमैं à¤à¥€
कà¥à¤› तो जीने का सबब
मौत की राहों में
ज़िंदा रहने का अदब
कैसे कर लें à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ हम उन की बातों का
जो हाथ छोड़ते ही नहीं अलविदा कहने के बाद
ज़िंदगी हो या लॅपटॉप
दोनों का à¤à¤• ही आलम है
कà¥à¤› मोटिवेशनल कोटà¥à¤¸ चिपका के
गहरे दागों को छà¥à¤ªà¤¾ रखा है
मेरी खà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का पौधा
मेरी खà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का पौधा
कà¤à¥€ बड़ा नहीं होता
कà¥à¤› शाखें निकलती हैं
कà¥à¤› हरे पतà¥à¤¤à¥‡ à¤à¥€
कà¥à¤› आशायें à¤à¥€ उगती है
कà¥à¤› घर à¤à¥€ बन जाते हैं
मगर फिर कोई à¤à¥‹à¤‚का
फिर कोई टà¥à¤•ड़ा धूप का
उड़ा देता है जला देता है
कà¤à¥€ कà¤à¥€ जड़ से ही हिला देता है
और बिखरी हà¥à¤ˆ शाखों में
फिर से à¤à¤• बीज ढूंढता हूठमैं
जिस बीज से उगेगा
फिर à¤à¤• पौधा
जो मà¥à¤ को à¤à¥€ मालूम है
पेड़ नहीं बनेगा
टूट जाà¤à¤—ा बिखर जाà¤à¤—ा
हर बार की तरह अलà¥à¤ª आयॠमें
पर कोई शकà¥à¤¤à¤¿ या कोई पागलपन
मà¥à¤ से फिर से कहता है
उन बीजों को बिखेर दो
फिर से किसी मिटà¥à¤Ÿà¥€ में
जब कि मà¥à¤ को à¤à¥€ ये मालूम है
मेरी खà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का पौधा
कà¤à¥€ बड़ा नहीं होता
सहेज के रखता हूà¤
अपने गमों को बिखरने नहीं देता
जो मेरे बिखरने से बने हैं
उन को बिखेरूठकैसे
फिर सी कोई यहाठकà¤à¥€ कड़वा नहीं बोलेगा
मेरे मà¥à¤²à¥à¤• में सब की ज़à¥à¤¬à¤¾à¤¨ उरà¥à¤¦à¥‚ कर दो
माना कि हिंदी माठहै मेरी
उरà¥à¤¦à¥‚ à¤à¥€ महबूबा है
कौन सी महबूबा आज कल
माठसे इतना घà¥à¤² मिल के रहती है
उरà¥à¤¦à¥‚
अदब की है ज़à¥à¤¬à¤¾à¤¨ उरà¥à¤¦à¥‚
मेरा तो है जहान उरà¥à¤¦à¥‚
जज़à¥à¤¬à¤¾à¤¤ जितने à¤à¥€ हो उलà¤à¥‡
कर देती है बयान उरà¥à¤¦à¥‚
गà¥à¤²à¤œà¤¼à¤¾à¤° की à¤à¥€ साहिर की à¤à¥€
हिंदू à¤à¥€ है है मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ उरà¥à¤¦à¥‚
कà¤à¥€ देवनागरी कà¤à¥€ अरबी में
हर सफे को देती है जान उरà¥à¤¦à¥‚
अवध की à¤à¥€ है और दिलà¥à¤²à¥€ की à¤à¥€
असà¥à¤² में है जज़à¥à¤¬à¤¾-à¤-हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ उरà¥à¤¦à¥‚
अदब की है ज़à¥à¤¬à¤¾à¤¨ उरà¥à¤¦à¥‚
मेरा तो है जहान उरà¥à¤¦à¥‚
डिसà¥à¤ªà¥‹à¤œà¤¼à¥‡à¤¬à¤² रिशà¥à¤¤à¥‡
नये दिन हैं
नयी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ है
और रिशà¥à¤¤à¥‡ à¤à¥€ ढल गये हैं
नये रंगों में
समय की गति के साथ
डिसà¥à¤ªà¥‹à¤œà¤¼à¥‡à¤¬à¤² हो गये हैं
और कà¥à¤¯à¥‚ठना हो आख़िर
कà¥à¤› वक़à¥à¤¤ ही à¤à¤¸à¤¾ है
सब लोग जलà¥à¤¦à¥€ में हैं
कोई सà¥à¤¬à¤¹ से शाम तक
रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को बढ़ता देखना चाहता है
कोई à¤à¤• पल में ही
सब छोड़ देना चाहता है
आख़िर कितनी परेशानी हैं
नॉन डिसà¥à¤ªà¥‹à¤œà¤¼à¥‡à¤¬à¤² रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ में
रोज़ धोना पड़ता है
दाग और धबà¥à¤¬à¥‹à¤‚ को
हटाना पड़ता है
कà¤à¥€ कà¤à¥€ तो नà¥à¤•ीले रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से
हाथ कट à¤à¥€ जाते हैं
कà¤à¥€ अधà¥à¤²à¥‡ रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से
कà¥à¤› पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ खाना निकल आता है
कà¤à¥€ à¤à¤• सड़ी हà¥à¤ˆ बास लिà¤
कà¤à¥€ कà¥à¤› शकà¥à¤•र के दाने
और शोर à¤à¥€ तो नहीं होता
इन नॉन डिसà¥à¤ªà¥‹à¤œà¤¼à¥‡à¤¬à¤² रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से
चाहे टेबल से गिरें
या गिरें कà¥à¤¤à¥à¤¬ मीनार से
आख़िर हलà¥à¤•े होते हैं
गिरते गिरते ही à¤à¤•
नया आशियाठतलाश लेते हैं
पर कहाठसे लाठकवि मन
डिसà¥à¤ªà¥‹à¤œà¤¼à¥‡à¤¬à¤² ज़ज़à¥à¤¬à¤¾à¤¤
जो सà¥à¤¬à¤¹ कà¥à¤› हों
कà¥à¤› और हों हर रात
शायद हम कà¤à¥€ à¤à¥€
ना इन डिसà¥à¤ªà¥‹à¤œà¤¼à¥‡à¤¬à¤² रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को
समठपाà¤à¤à¤—े
टूटेंगे बिखरेंगे
और कवि कहलाà¤à¤à¤—े
बहà¥à¤¤ हलà¥à¤•े से ओढ़ रखी हैं
अरमानों की चादरें
थोड़ी à¤à¥€ हवा आती है
उड़ जाती हैं
पà¥à¤°à¤œà¤¼à¥‹à¤° नहीं हैं ज़िंदगी के रासà¥à¤¤à¥‡
बिखरी हà¥à¤ˆ पगडंडियां हैं
कोई सखà¥à¤¤à¥€ से चलता है
मà¥à¤¡à¤¼ जाती हैं
कारोबार-à¤-ज़िंदगी हमारा
कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ चल रहा है
कà¥à¤› समà¥à¤‚दर निकल गये हम से
कà¥à¤› नदियाठजà¥à¤¡à¤¼ जाती हैं
ना खà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की कोई खà¥à¤µà¤¾à¤‡à¤¶
ना गम से गिला कोई
कà¥à¤¯à¤¾ आशियाने बन गये तो
कà¥à¤¯à¤¾ ग़र बसà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ उजड़ जाती हैं
ना जीतूं तो कोई खà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾à¤
ना haroon तो कोई ग़म हो
किसी इंसान से नहीं
ज़िनà¥à¤¦à¤—ी से लड़ रहा हूठमैं
अमन वाली बसà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¥€
दंगा फसाद हो गया है
अà¤à¥€ अà¤à¥€ खबर आयी है
मà¥à¤²à¥à¤• आज़ाद हो गया है
साठबचà¥à¤šà¥‡ असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² में
तड़प तड़प के मर गये
सियासत के दलालों का
घर आबाद हो गया है
अà¤à¥€ अà¤à¥€ खबर आयी है
मà¥à¤²à¥à¤• आज़ाद हो गया है
धरà¥à¤® और ज़à¥à¤¬à¤¾à¤¨ से थक जाते हैं
तो मà¥à¤²à¥à¤•ों को लड़ाते हैं
तिरंगे में à¤à¤• और जवान आया है
à¤à¤• और घर बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦ हो गया है
अà¤à¥€ अà¤à¥€ खबर आयी है
मà¥à¤²à¥à¤• आज़ाद हो गया है
सहाफी बन बैठे हैं
आवाम के फ़रà¥à¤œà¤¼à¥€ नà¥à¤®à¤¾à¤‡à¤‚दे
फ़रà¥à¤œà¤¼à¥€ खबरों का कारखाना
सियासत की बà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤¦ हो गया है
अà¤à¥€ अà¤à¥€ खबर आयी है
मà¥à¤²à¥à¤• आज़ाद हो गया है
हà¥à¤•à¥à¤®à¤°à¤¾à¤¨à¥€ à¤à¥€ आज कल
हà¥à¤•à¥à¤®à¤°à¤¾à¤¨ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ में बाà¤à¤Ÿ देते हैं
जमà¥à¤¹à¥‚रियत के धोखे में मà¥à¤²à¥à¤•
कà¥à¤› लोगों की ज़ायदाद हो गया है
अà¤à¥€ अà¤à¥€ खबर आयी है
मà¥à¤²à¥à¤• आज़ाद हो गया है
अब कà¤à¥€ फिर से रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की à¤à¥€à¤– नहीं मांगेंगे
à¤à¥€à¤– में लोग अकà¥à¤¸à¤° खोटे सिकà¥à¤•े ही दिया करते हैं
कà¤à¥€ कà¤à¥€ गम का होना à¤à¥€ ख़à¥à¤¶à¤—वार होता है
आख़िर गम होने का à¤à¥€ अपना ही अहंकार होता है
रूह की बात है, बयाठकरने कहाठजायें
मोहबà¥à¤¬à¤¤ तà¥à¤® से की है, खफा होने कहाठजायें
शहर में वैसे तो शिवाले à¤à¥€ हैं कालीसे à¤à¥€
इशà¥à¤•़ के मोमिन हैं दà¥à¤† करने कहाठजायें
आदत-à¤-इशà¥à¤•़ पà¥à¤–़à¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ है पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ à¤à¥€
अब इस उमर में दिल कहीं और लगाने कहाठजायें
उमà¥à¤° हो चली है अब अशà¥à¤•ों को रोक लेते हैं
ख़ामाखाठअब दरà¥à¤¦ का दरिया बहाने कहाठजायें
रूह की बात है, बयाठकरने कहाठजायें
मोहबà¥à¤¬à¤¤ तà¥à¤® से की है, खफा होने कहाठजायें
फिर से मà¥à¤²à¥à¤• ना बटने देंगे सà¥à¤¨ लो सियासतदानों
हम तिलक लगा के दरगाहौ पे दà¥à¤† किया करते हैं
अपनों का दिल दà¥à¤–ेगा
गैरों को कà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚
अपने गमों के अफसाने
दिल में छà¥à¤ªà¤¾ के रखते हैं
ना कोई सिला होता
ना कोई सबब होता
कैसा होता गर बेवजह
मोहबà¥à¤¬à¤¤ करने का अदब होता
दिल यूà¤à¤¹à¥€ बहक जाते
à¤à¤¸à¥‡ ही अनायास ही
जब दिल में आता
तो मिल लेते
जो दिल में आता
वो कह लेते
कोई कà¥à¤¯à¤¾ सोचेगा
ना ख़याल होता
कैसे खà¥à¤¶ रखूं
यही खà¥à¤¦ से सवाल होता
उमà¥à¤° रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की बड़ी होती
इंसानों की उमर से à¤à¥€
ना डर टूटने का होता
ना बिखरने पे मलाल होता
रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के शिवाले होते
दिल में हरदम रब होता
ना कोई सिला होता
ना कोई सबब होता
कैसा होता गर बेवजह
मोहबà¥à¤¬à¤¤ करने का अदब होता
à¤à¤¸à¤¾ नहीं कि हम को,
शौक-à¤-नà¥à¤®à¤¾à¤‡à¤¶-à¤-गम है,
पैमाना à¤à¤°à¤¾ है,
छलक जाता है
पà¥à¤¯à¤¾à¤° मोहबà¥à¤¬à¤¤ वफा सà¥à¤•ून
जो जिंदगी में नहीं मिलता
शायरी में लिख लेते हैं
ज़िंदगी हम से खेलती है
और हम शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ से
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ ख़ामाखाठहम को
शायर समठबैठी है
मेरी मयà¥à¤¯à¤¤ पे वो बोले
ये बंदा à¤à¥€ ना
अजूबा बेहतरीन था
दिखता तो खà¥à¤¶à¤®à¥€à¤œà¤¼à¤¾à¤œà¤¼ था
लिखता बहà¥à¤¤ गमगीन था
मैं उमà¥à¤¦à¤¾ लिखता हूà¤
या ज़ाया लिखता हूà¤
फिकà¥à¤° नहीं इस की
जो दिल में आया लिखता हूà¤
अपनी कलम से à¤à¥€ मैने कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ समà¤à¥‹à¤¤à¤¾ कर लिया
उस की सियाही लेता हूठअपनी सियाही काग़ज़ पे उतारने के लिà¤
बेसबब लिखता हूठमैं
ज़िनà¥à¤¦à¤—ी की चाल को
कौन समà¤à¤¾ है यहाà¤
कोई आता है
कोई जाता है
कà¥à¤› निशान छोड़ कर
कोई पहचान छोड़ कर
à¤à¤• उजड़ी हà¥à¤ˆ बसà¥à¤¤à¥€ मैं
à¤à¤• टूटा हà¥à¤† मकान छोड़ कर
ना आने का कोई सबब तेरा
ना जाने का कोई सबब है
इस लिà¤
बेसबब लिखता हूठमैं
कà¤à¥€ हैं कदम बहà¥à¤¤ हलके
कà¤à¥€ बोठहैं बलाओं से
कà¤à¥€ रात कटती है इक पल मैं
कà¤à¥€ ख़तà¥à¤® न हो क़यामत तक
नहीं जानता सहर का पता
नहीं जानता वफ़ा का घर
बढे जाते हैं कदम ये
किसी ओर किसी कारण से
और बढे जाते हैं कà¤à¥€ कहीं à¤à¥€ नहीं
बोà¤à¤¿à¤² से और बेसबब
इस लिà¤
बेसबब लिखता हूठमैं
ज़िनà¥à¤¦à¤—ी है नाव सी
कोई सागर मैं जो है गिर गयी
न कोई रासà¥à¤¤à¤¾ न साहिल कोई
न है माà¤à¥€ और न पतवार ही
ये जो लहरें उस को छू रहीं
वो ही उठा रहीं और डà¥à¤¬à¤¾ रहीं
न पता है मà¥à¤à¥‡ अंजाम का
न पता है सà¥à¤¬à¤¹à¥‹-शाम का
कहीं पहà¥à¤‚चा तो वो à¤à¥€ बेसबब
और डूबा तो वो à¤à¥€ बेसबब
इस लिà¤
बेसबब लिखता हूठमैं