Poem: Urdu

अदब की है ज़ुबान उर्दू
मेरा तो है जहान उर्दू
जज़्बात जितने भी हो उलझे
कर देती है बयान उर्दू
गुलज़ार की भी साहिर की भी
हिंदू भी है है मुसलमान उर्दू
कभी देवनागरी कभी अरबी में
हर सफे को देती है जान उर्दू
अवध की भी है और दिल्ली की भी
अस्ल में है जज़्बा-ए-हिन्दुस्तान उर्दू
अदब की है ज़ुबान उर्दू
मेरा तो है जहान उर्दू

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *