कितने लगायें अब पैबनà¥à¤¦ ज़िनà¥à¤¦à¤—ी में
हो चà¥à¤•à¥‡ हैं सब रासà¥à¤¤à¥‡ अब बंद ज़िनà¥à¤¦à¤—ी में
रिसते हैं अब तो ज़खà¥à¤® लहू से कà¤à¥€ अशà¥à¤•à¥‹à¤‚ से
अपने à¤à¥€ हà¥à¤† करते थे हौसले बà¥à¤²à¤‚द ज़िनà¥à¤¦à¤—ी में
लमà¥à¤¹à¥‹à¤‚ को जाने मà¥à¤ से ये कैसी दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨à¥€ है
मà¥à¤ को à¤à¥€ मिलते ख़à¥à¤¶à¥€ के चंद ज़िनà¥à¤¦à¤—ी में
ना होता दरà¥à¤¦ ना होता रंज मà¥à¤ को à¤à¥€ ठ“कशिशâ€
अगर होता मैं à¤à¥€ संगदिल तेरे मानिंद ज़िनà¥à¤¦à¤—ी में