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सब तिरंगे बेचते हैं
आज देखा à¤à¤• बचà¥à¤šà¥€ को
उस गली के मोड़ पे
à¤à¤• हाथ में चनà¥à¤¦ सिकà¥à¤•à¥‡
à¤à¤• मैं कà¥à¤› दस तिरंगे
चेहरे पर ना कोई शिकवा
ना कोई खà¥à¤¶à¥€ का सà¥à¤°à¤¾à¤—
बस à¤à¤• कà¥à¤°à¤® ज़िंदगी का
जो बà¥à¤à¤¾à¤¯à¥‡ पेट की आग
सब के है अपने तरीके
और फिर देखा कहीं पे
à¤à¤• नेता सिरफिरा
ज़िंदगी à¤à¤° लिपà¥à¤¤ था
बस अपनी ज़ेबों को à¤à¤°à¤¾
आग तो उस में à¤à¥€ थी
सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ की à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° की
उस आग में दबी आवाज़ थी
जनता के हाहाकार की
सब के है अपने तरीके
सब तिरंगे बेचते हैं
फिर मिला à¤à¤• वीर से
जो बरà¥à¤«à¤¼à¥€à¤²à¥€ सरहदों पे मà¥à¤¸à¥à¤¤à¥ˆà¤¦ था
à¤à¤• नज़र बंदूक पे
और à¤à¤• नज़र में देश था
खून उस का जब बहा
तो ज़मीन पर तिरंगा बन गया
जान की कीमत चà¥à¤•à¤¾ के
वो पावन गंगा बन गया
सब के है अपने तरीके
कà¥à¤› तिरंगे बेचते हैं
कà¥à¤› तिरंगे सींचते हैं