उलà¤à¥‡ हà¥à¤ लफ़à¥à¤œà¤¼à¥‹à¤‚ में
कहता हूठकई बातें
कà¥à¤› तैरती रहती हैं
कà¥à¤› दिल में उतर जाती हैं
कà¥à¤› à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ के सायों से
फलक तक चली जाती हैं
कà¥à¤› रेत में उड़ती हैं
कà¥à¤› अशà¥à¤•à¥‹à¤‚ से तर जाती हैं
कà¥à¤› रेंगती जाती हैं
यादों के उफक तक
कà¥à¤› खà¥à¤¦ से ही डर के
à¤à¥€à¤¤à¤° ही सिमट जाती हैं
कà¥à¤› बातें है à¤à¤¸à¥€ à¤à¥€
जिन की कोई बात नहीं है
आती हैं ना जाने किधर से
और ना जाने कहाठजाती हैं
उलà¤à¥‡ हà¥à¤ लफ़à¥à¤œà¤¼à¥‹à¤‚ में
कहता हूठकई बातें
कà¥à¤› तैरती रहती हैं
कà¥à¤› दिल में उतर जाती हैं