नये दिन हैं
नयी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ है
और रिशà¥à¤¤à¥‡ à¤à¥€ ढल गये हैं
नये रंगों में
समय की गति के साथ
डिसà¥à¤ªà¥‹à¤œà¤¼à¥‡à¤¬à¤² हो गये हैं
और कà¥à¤¯à¥‚ठना हो आख़िर
कà¥à¤› वक़à¥à¤¤ ही à¤à¤¸à¤¾ है
सब लोग जलà¥à¤¦à¥€ में हैं
कोई सà¥à¤¬à¤¹ से शाम तक
रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को बढ़ता देखना चाहता है
कोई à¤à¤• पल में ही
सब छोड़ देना चाहता है
आख़िर कितनी परेशानी हैं
नॉन डिसà¥à¤ªà¥‹à¤œà¤¼à¥‡à¤¬à¤² रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ में
रोज़ धोना पड़ता है
दाग और धबà¥à¤¬à¥‹à¤‚ को
हटाना पड़ता है
कà¤à¥€ कà¤à¥€ तो नà¥à¤•ीले रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से
हाथ कट à¤à¥€ जाते हैं
कà¤à¥€ अधà¥à¤²à¥‡ रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से
कà¥à¤› पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ खाना निकल आता है
कà¤à¥€ à¤à¤• सड़ी हà¥à¤ˆ बास लिà¤
कà¤à¥€ कà¥à¤› शकà¥à¤•र के दाने
और शोर à¤à¥€ तो नहीं होता
इन नॉन डिसà¥à¤ªà¥‹à¤œà¤¼à¥‡à¤¬à¤² रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से
चाहे टेबल से गिरें
या गिरें कà¥à¤¤à¥à¤¬ मीनार से
आख़िर हलà¥à¤•े होते हैं
गिरते गिरते ही à¤à¤•
नया आशियाठतलाश लेते हैं
पर कहाठसे लाठकवि मन
डिसà¥à¤ªà¥‹à¤œà¤¼à¥‡à¤¬à¤² ज़ज़à¥à¤¬à¤¾à¤¤
जो सà¥à¤¬à¤¹ कà¥à¤› हों
कà¥à¤› और हों हर रात
शायद हम कà¤à¥€ à¤à¥€
ना इन डिसà¥à¤ªà¥‹à¤œà¤¼à¥‡à¤¬à¤² रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को
समठपाà¤à¤à¤—े
टूटेंगे बिखरेंगे
और कवि कहलाà¤à¤à¤—े
–
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