वो गीता à¤à¥€ पढता था
वो कà¥à¤°à¤¾à¤¨ पढता था
मज़हबों से कहीं आगे
वो इंसान पढता था
मिसाइल के मसाइल से à¤à¥€
वाक़िफ़ था बहà¥à¤¤ वो
पर चैन-ओ-अमन का कलाम
वो सà¥à¤¬à¤¹-शाम पढ़ता था
ना उतà¥à¤¤à¤°Â से ना दकà¥à¤·à¤¿à¤£Â से
ना पूरब से ना पशà¥à¤šà¤¿à¤® से
वो क़ौम का बंदा था
वो हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ पढ़ता था
वो गीता à¤à¥€ पढता था
वो कà¥à¤°à¤¾à¤¨ पढता था
मज़हबों से कहीं आगे
वो इंसान पढता था