तà¥à¤® कौन थे
जो आये थे मेरी जीवन में
à¤à¤• à¤à¥‹à¤‚का हवा का बन के
कई रूप में
कई रà¤à¤— में
कà¤à¥€ à¤à¤• मितà¥à¤° बन के
कà¤à¥€ à¤à¤• दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• बन के
वो सब कà¥à¤› बन के
जो मेरे अधूरेपन को
à¤à¤° देता था
कà¥à¤› सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° पलों से
तà¥à¤® कौन थे
याद है मà¥à¤à¥‡ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ चेहरा
जो चमकता था à¤à¤• समान
अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ में हो या रौशनी में
उस रौशनी में मैं à¤à¥€
कà¥à¤› पल को
अपने अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ à¤à¥‚ल जाती थी
वो हाथ जब मेरे काà¤à¤§à¥‡ पर
à¤à¤• विशवास का सà¥à¤¤à¤‚ठबन कर
à¤à¤• पà¥à¤°à¥‡à¤® à¤à¤°à¥€ थपथपाहट के कंपन से
मेरे दिल में धड़कन संचारित कर देता था
तà¥à¤® कौन थे
और आज मैं बैठी हूà¤
तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ सामने
जब तà¥à¤® चले जाते हो
जहाठसे तà¥à¤® मà¥à¤à¥‡ देखोगे
और मैं à¤à¥€ तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚
à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• रूप में ना सही
à¤à¤• आतà¥à¤®à¤¿à¤• खिड़की से
उन कदमों के चिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ को
जिन की परछाईयाठमà¥à¤à¥‡
पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ देंगी कà¥à¤·à¤¿à¤¤à¤¿à¤œ के उस ओर तक
तà¥à¤® कौन थे
This poem is dedicated to Prema Attai, aunt of Yamini Kunder