Poem: हम सब एक हैं

राजनीती कुछ और नहीं
बस रेखाएं हैं
कुछ समय पर
और कुछ ज़मीन पर
एक तरह से देखो तो
पहचान देने का माध्यम
दूसरी तरह से देखो तो
विभाजित करने का माध्यम
समय पर बनी रेखा
कभी अहंकार से भर देती है
ये काम हमारे पूर्वजों ने
किसी और से पहले किया
या कभी श्रेष्ठता का भाव
स्वयं के महान होने का भरोसा
ज़मीन पर रेखा हमें
परिभाषित भी करती है
और विभाजित भी
हमारा देश प्रदेश
तुम्हारे से अच्छा है

पर अगर इन रेखाओं को
अगर हम थोड़ा दूर ले जाएँ
तो दृश्य कुछ और ही होगा
ज़मीनी रेखा अगर
पृथ्वी के बहार हो
और समय की रेखा
कुछ लाख साल पहले
तब ज्ञात होगा यही
जिन रेखाओं को हम
जीने मरने का कारण बना लेते हैं
उन रेखाओं से परे
हम सब एक हैं
हम सब एक हैं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *