Poem: मुझे गर्व है हिंदी पर

मुझे गर्व है हिंदी पर

जो उर्दू को भी स्वीकार करती है
और अंग्रेजी को भी
कुछ बदल जाती है
पर बहुत कुछ मिटता नहीं है
कोई मिठास लाता है
कोई नयी श्वास लाता है
हिंदी भाषा में हर कोई
एक नया आभास लाता है

मुझे गर्व है हिंदी पर

बिहार जाती है तो
भोजपुरी बन जाती है
मिथिला जाती है तो
मैथली बन जाती है
मुंबई जाती है तो
मुम्बइया बन कर
चलचित्रों में बहुत
रंग जमाती है

मुझे गर्व है हिंदी पर

भाषा को जीवित रहने के लिए
जीवंत भी होना होगा
नए चोले पहनने होंगे
नए पथ पे चलना होगा
जो बदलता नहीं समय के साथ
समय उसे अर्थहीन बना देता है
हिंदी की प्रासंगिकता
हिंदी की विविधता में ही है

मुझे गर्व है हिंदी पर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *