बà¥à¤à¤¤à¥€ आà¤à¤–ों की तड़प
उठती नींदों की थकन
सोच में डूबे हà¥à¤
मेरे माथे की शिकन
साथ है मेरे à¤à¥€ कà¥à¤›
यादों के पोशीदा सबब
ढूà¤à¤¢à¤¤à¥‡ रहते हैं वो
जाने कà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤¬à¤¹à¥‹ और शब
माज़ी की आà¤à¤§à¥€ कोई
रात का चाà¤à¤¦ कहीं
ज़ख़à¥à¤® की वादियों में
दरà¥à¤¦ का दरिया कहीं
हर रोज़ के वही
बà¥à¤à¤¤à¥‡ हà¥à¤ सिलसिले
घटती हà¥à¤ˆ ज़िंदगी
बढ़ते हà¥à¤ शिकवे गिले
खाक में मिलते हà¥à¤
जज़à¥à¤¬à¤¾à¤¤à¥‹à¤‚ के आशियाà¤
कतरा कतरा मिटते हà¥à¤
रूह के नाम-ओ-निशान
ढूà¤à¤¢ लेता हूठमैं à¤à¥€
कà¥à¤› तो जीने का सबब
मौत की राहों में
ज़िंदा रहने का अदब