ज़िंदगी के धागे
बहà¥à¤¤ कमज़ोर हो चले हैं
टूटते तो हैं
पर जà¥à¤¡à¤¼à¤¤à¥‡ नहीं
उलठजाते हैं
à¤à¤• दूसरे से
कà¤à¥€ लगते हैं
मिलते हà¥à¤
कà¤à¥€ लगते हैं
à¤à¤• विरोधाà¤à¤¾à¤¸
खà¥à¤¦ से ही खà¥à¤¦ का
कà¤à¥€ कोई सोच
और कà¤à¥€ कोई और
मन का अंतरà¥à¤¦à¥à¤µà¤‚द
और वो à¤à¥€ अंतहीन
कटà¥à¤¤à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¿à¤‚ब कà¤à¥€
तो कà¤à¥€ लाचारी का पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹
कितना विशाल कितना अथाह
à¤à¤•à¤•à¥€à¤ªà¤¨ के गहरे घाव
अगà¥à¤¨à¤¿ से जलते हà¥à¤ à¤à¤¾à¤µ
शीतल तट की आस में
अपने ही असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को
अनगिनत टà¥à¤•à¤¡à¤¼à¥‹à¤‚ में तोड़ते
ना उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ कोई है शेष
ना शेष है कोई लौ यहाà¤
बस है बचा है कà¥à¤›
तो अवशेष हैं
सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की दीवार हैं
और à¤à¤• कोने में हैं बचे
कà¥à¤› बà¥à¤¨à¥‡ हà¥à¤
और कà¥à¤› अधà¥à¤¬à¥à¤¨à¥‡
ज़िंदगी के धागे
बहà¥à¤¤ कमज़ोर हो चले हैं