जाने कà¥à¤¯à¤¾ लिखा है किताबों में
जाने कà¥à¤¯à¤¾ ये सब बोलते हैं
बचपन को बंदूक की नोक पे
धरà¥à¤® के तराज़ू में तोलते हैं
काटते हैं मासूमियत को
हैवानियत की तलवार से
ज़हर ये किस रंग का
इंसानियत में घोलते हैं
ना आà¤à¤¸à¥‚ ही रà¥à¤•à¤¤à¥‡ हैं
ना लहू ही रà¥à¤•à¤¤à¤¾ है
धरà¥à¤® की अंधी à¤à¤—दड़ में
हम सब लाशों पे दौड़ते हैं
जाà¤à¤à¤—े कौन सी ज़नà¥à¤¨à¤¤ में
ये धरà¥à¤® के सौदागर
लाश जो मासूम बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की
कमज़ोर कंधों पे छोड़ते हैं